Ginnorgarh Fort Story

गिन्नौरगढ़ का किला
भोपाल से 65 किमी दूरी पर स्थित है ऐतिहासिक गिन्नौरगढ़ का किला। बताया जाता है कि गौंड शाह की सात रानियां थीं और इनमें कमलापति प्रमुख थीं। किले के समीप एक पहाड़ी है, जो अशर्फी पहाड़ी के नाम से प्रसिद्ध है। इतिहासकारों का कहना है कि इस किले को बनाने के लिए अन्य स्थान से मिट्टी मंगाई गई थी। मिट्‌टी की डलिया लाने वाले प्रत्येक मजदूर को एक अशर्फी दी जाती थी।

किले का निर्माण विंध्याचल की पहाड़ियों के मध्य समुद्र सतह से 1975 फीट ऊंचाई पर किया गया है। प्रकृति की गोद में बसे और हरियाली से घिरे इस किले की संरचना अद्भुत है। लगभग 3696 फीट लंबे और 874 फीट चौड़े इलाके में फैले इस किले की विशालता देखने योग्य है। एडवेंचर के शौकीनों को यह किला अपनी ओर आकर्षित करता है।

इस किले का निर्माण परमार वंश के राजाओं ने किया था। इसके बाद निजाम शाह ने किले को नया रूप प्रदान कर इसे अपनी राजधानी बनाया था। गौंड शासन की स्थापना निजाम शाह ने की थी। यह ऐतिहासिक किला 800 वर्ष पूर्व अस्तित्व में आया। यहां पर परमार और गौंड शासकों के बाद मुगल तथा पठानों ने भी शासन किया है। प्राकृतिक वन-संपदा से परिपूर्ण इस स्थान पर जंगली जानवर देखे जा सकते हैं। इतनी ऊंचाई पर बना होने के बावजूद यहां पर पानी भरपूर मात्रा में है। किले और उसके आसपास लगभग 25 कुएं-बाावड़ी और 4 छोटे तालाब हैं। यहां पर गाइड का काम करने वाले ताज ने बताया कि इन तालाबों में बारहों महीने पानी भरा रहता है। किले की दीवार करीब 82 फीट ऊंची अाैर 20 फीट चौड़ी है। यहां पहाड़ी पर काले और हरे पत्थर बिखरे हुए हैं। इन्हीं पत्थरों का इस्तेमाल किले को बनाने में किया गया है।

यहां के महल आकर्षक स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है। यहां पर सुंदर बावड़ी, बादल महल और इत्रदान जैसे महत्वपूर्ण महल देखने योग्य हैं। किले के नीचे सदियों पुरानी एक गुफा है। इस गुफा में शीतल जलकुंड है, जिसकी वजह से यहां गर्मियों में भी ठंडक बनी रहती है। इस किले को तीन हिस्सों में बांटा गया है। पहला भाग किले से तीन मील दूर का एरिया है, जिसे बाहर की घेराबंदी के नाम से जाना जाता है। किले का दूसरा भाग दो मील दूर का इलाका है, जहां कभी बस्ती आबाद थी। यहीं पर एक तालाब भी है। तीसरे भाग में किला है। इसके मुख्य द्वार के पास रानी महल है, जिसे निजाम शाह ने अपनी पत्नियों के लिए बनवाया था।

इस किले में खजाने की तालाश में काफी खुदाई की गई, जिससे इस किले को बहुत नुकसान पहुंचा है। इस किले की सुरक्षा के लिए अभी तक कोई विशेष इतंजाम नहीं किए गए हैं। पुरातत्व और पर्यटन की दृष्टि क्षेत्र में यह किला अपने आप में बेजोड़ है। किले तक जाने के लिए पक्का रास्ता नहीं होने के कारण यहां आने वाले लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार जंगली इलाका होने के कारण हिंसक जानवरों का भय बना रहता है। किले के बारे में जानकारी देने के लिए गाईड की व्यवस्था भी नहीं की गई है। यदि किले तक जाने के लिए पक्का रास्ता बना दिया जाए साथ ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम किए जाएं तो बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आ सकते हैं।

Comments

  1. गौंडवाना विरासत को देख कर लगता है यह जगह स्वर्गसे भी सुन्दर है
    फोटोग्रफर को धन्यबाद

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